जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह द्वारा खरीफ फसलों मुख्यतः धान में वर्तमान में मौसम परिवर्तन के चलते होने वाली संभावित क्षति एवं बीमारियों के दृष्टिगत कृषि विभाग के अधिकारियों को किसान भाईयों को लगातार जागरूक करने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस समय कभी कड़ी धूप निकलती है कभी तेज बरसात होती है और कभी मौसम में नमी रहती है। ऐसे में फसलों में विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। किसान भाई यदि समय रहते कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिये गये सुझावों पर अमल करें तो फसलों को नुकसान होने से बचाया जा सकता है। जिलाधिकारी द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में जिला कृषि रक्षा अधिकारी अमित जायसवाल ने जनपद के सभी किसान बंधुओं को सूचित किया है कि वर्तमान में धान की फसल अपनी वानस्पतिक अवस्था में है। वातावरण में आद्रता के साथ-साथ तापमान में भी तीव्रता है, जिससे धान की फसल में गिड़ार का प्रकोप बढ़ गया है। गिड़ार के प्रकोप से वानस्पतिक अवस्था में आर्थिक क्षति स्तर 5 से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि गिड़ार से बचाव के लिए किसान भाई खेत सें समय-समय पर पानी निकालते रहें एवं किन्ही दो कीटनाशक जैसे कि क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 9.3 प्रतिशत एवं लैम्बडासाइहलोथ्रिन 4.6 प्रतिशत मिलाकर 80 मिली लीटर मात्रा प्रति एकड की दर से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें।