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2004 आम चुनाव में भाजपा का हारने के कारणों में ‘गुजरात दंगे’ का अहम रोल रहा है।

भले ही उस दंगे ने मोदी जी को काफी प्रसिद्ध कर दिया हो पार भाजपा को इसका खामियाजा कहीं न कहीं भुगतना पड़ा और लाख कोशिस के बावजूद दस साल तक सत्ता से बाहर रही। दूर से देखने ऐसा जरूर लगता है की दंगे कराने से भाजपा को फायदा होते हों मगर जनता उतना मुर्ख नहीं है जितना मीडिया दिखाती है।”चौरासी’ के दंगा के बाद अगले चुनाव में कांग्रेस को जो नुकसान हुआ, बाबरी विध्वंस के बाद भाजपा की स्थिति भी डगमगाई और कई राज्य से सरकार से बाहर होना पड़ा, गुजरात दंगे के बाद 2004 चुनाव के आंकड़े भी स्पष्ट हैं और इन इतिहासों को हवा में उड़ने वाली बातों के आधार पर नहीं नकारा जा सकता। ठीक इसी तरह 2024 में भी भाजपा को मणिपुर हिंसा का खामियाजा भुगतने पड़ेंगे।गुजरात और उत्तर प्रदेश के अलावे भाजपा महज नॉर्थ – ईस्ट की पार्टी बन चुकी है और मणिपुर में हो रहे हिंसा से नॉर्थ – ईस्ट की बड़ी तादाद दुःखी नजर आ रही है, संभवतः इसका असर मिजोरम चुनाव में दिखे और फिर आम चुनाव में भी इसका नतीजा सामने आएगा। चुकी उत्तर – पूर्वी राज्यों में संसदीय क्षेत्रों की संख्या कम है इसलिए यह मुद्दा प्रमुख रूप से भाजपा को परेशान नहीं करेगी पर इससे विपक्षी गठबंधन (I N D I A) को फायदा जरूर पहुंचेगा।आंतरिक युद्ध से कभी भी तत्कालीन सरकार को फायदा नहीं पहुँच सकता क्योंकि भारत के जनमानस में हिंसा के प्रति नकारात्मक विचार शास्वत है। उपर से अविश्वास प्रस्ताव लाना मुँह चुराते प्रधानमंत्री के हलक में उंगली डालकर मणिपुर पर कुछ बुलवाने जैसा है और विपक्ष जानती है की खामोशीपसंद मोदी जी जब मजबूर होकर इस पर बोलेंगे तो जहर ही उगलेंगे, इससे सरकार की कमजोरी और भी प्रत्यक्ष नजर आएगी।सरकार की मंशा वैसे तो आम चुनाव को समय से पहले कराने की थी पर मणिपुर से उठी आग ने सरकार को और भी डरा दिया है। अब जितना पहले चुनाव होगा उतना विपक्ष को फायदा होगा। उत्तर पूर्व पढ़े- लिखों का क्षेत्र है, आदिवासियों की बहुलता है और उन्हें यह समझते देर नहीं लगेगी की यह सरकार कितनी निकम्मी है।

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Author: cnindia

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