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आरपीएससी में सदस्यों की कमी के चलते पशु चिकित्सकों के इंटरव्यू अटके तीन साल से इंटरव्यू का इंतजार कर रहे है अभ्यर्थी

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने नवंबर 2020 में पशु चिकित्सकों के 900 पदों की भर्ती का परिणाम घोषित किया था। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि परिणाम में उत्तीर्ण घोषित होने वाले अभ्यर्थी पिछले तीन साल से इंटरव्यू का इंतजार कर रहे हैं। पहले अदालती रोक के कारण विलंब हुआ और अब आयोग में सदस्यों की कमी के चलते इंटरव्यू नहीं हो पा रहे हैं। दो माह पहले उच्च न्यायालय ने पशु चिकित्सकों को लेकर सभी प्रकार की कानूनी बाधाएं हटाते हुए आयोग को इंटरव्यू के लिए आवश्यक निर्देश जारी कर दिए थे। लेकिन आयोग में सदस्यों की कमी है इसलिए इंटरव्यू का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। आयोग के एक सदस्य बाबूलाल कटारा पेपर लीक के मामले में जेल में बंद हैं तो एक सदस्य जसवंत राठी अस्वस्थ चल रहे हैं। एक अन्य सदस्य श्रीमती मंजू शर्मा एक माह के विदेश दौरे पर रहीं। ऐसे में आयोग में मौजूदा समय में अध्यक्ष संजय श्रोत्रिय और सदस्य श्रीमती संगीता आर्य ही सक्रिय हैं। आयोग में तीन पद पहले से ही रिक्त चल रहे हैं। राजस्थान में युवाओं को नौकरी देने में आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका है। पशु चिकित्सक पद के लिए इंटरव्यू तक नहीं हो रहे हैं। जब प्रदेश भर के पशु मौसमी बीमारियों से ग्रसित है। बरसात के मौसम में बीमारियां कुछ ज्यादा ही होती हैं। मौजूदा समय में एक जिले में एक पशु चिकित्सक की ही नहीं है। ऐसे में पशुपालकों को अपने पशुओं का इलाज निजी स्तर पर करवाना पड़ रहा है। सरकार के पास 900 पात्र पशु चिकित्सक हैं। लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही है। सरकार ने कुछ चिकित्सकों को अनुबंध पर लगाया है। लेकिन उनकी भूमिका प्रभावी नजर नहीं आती है। ऐसे चिकित्सकों का कहना है कि जब हम पशु चिकित्सक पद पर स्थाई नौकरी पाने के हकदार हैं,तब हमें स्थाई नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है। आयोग में रिक्त पदों पर चिकित्सकों की नियुक्ति हो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। पिछले कई माह से आयोग में तीन पद रिक्त हैं, आयोग का प्रशासनिक तंत्र भी पूरी तरह बिगड़ा हुआ है। पेपर लीक के चलते आयोग की छवि लगातार खराब हो रही है। सदस्यों की कमी के कारण पशु चिकित्सकों के साथ साथ अन्य भर्तियों के इंटरव्यू और परीक्षाएं भी नहीं हो पा रही है। पेपर लीक के आरोप के चलते मौजूदा सदस्य भी काम करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। पिछले तीन वर्ष से इंटरव्यू का इंतजार करने वाले पात्र अभ्यर्थियों में अब गुस्सा है। अभ्यर्थियों के प्रतिनिधि डॉ. नरसिंह राम गुर्जर का कहना है कि जब अदालत से स्टे हट गया है, तब इंटरव्यू की प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की? उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत करने के बाद परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन इंटरव्यू के अभाव में नौकरी से वंचित होना पड़ रहा है

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Author: cnindia

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