बाराबंकी। पंडित विष्णु नारायण भातखंडे की 163 वी जयंती कोमल संगीत अकादमी के प्रयासों से जिले में मनाई गई। विष्णु नारायण भातखंडे जयंती के अवसर पर कोमल संगीत अकादमी में कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की वंदना द्वारा हुई अकादमी की प्रधानाचार्य जी अनसुइया श्रीवास्तव द्वारा विष्णु नारायण भातखंडे जी का जीवन परिचय तथा उनके द्वारा किए गए। कार्यों से अकादमी के छात्रों को अवगत कराया बाद अकादमी की छात्रा आराध्या अवस्थी ने राग भैरव, विनीत कुमार द्वारा राग पूरिया धनश्री, फैजान अहमद द्वारा राग बिलावल, मुकेश कुमार राग यमन, अविनाश द्वारा राग आसावरी, अपूर्वा श्रीवास्तव राग काफी बाद में सत्यवान द्वारा राग भैरवी पर आधारित कृष्ण भजन, नील माधव पटेल द्वारा भजन छोटी छोटी गईया छोटे छोटे ग्वाल, महक द्वारा ओ कान्हा अब तो मुरली की, पवन कुमार द्वारा शिव भजन कार्यक्रम के अंत में अकादमी के छात्र- छात्रों को कोमल संगीत अकादमी के निर्देशक रतन सिंह ने संगीत की विभिन्न जानकारियां दी। साथ ही संगीत में रोजगार के अवसर प्राप्त करने के साधन भी बताए। कोमल संगीत अकादमी के निर्देशक रतन सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति के जनक एवं भारतीय संगीत को सरल एवं रोजगार परक शिक्षा के रूप में स्थापित करने का श्रेय भातखण्डे को ही जाता है भातखंडे जी का जन्म 10 अगस्त 1860 में हुआ लखनऊ में मैरिज म्यूजिक कॉलेज की स्थापना की जो भातखंडे संगीत संस्थान के नाम से प्रसिद्ध हुआ। जिसका नाम वर्तमान में भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय है। संगीत कला पर इन्होंने कई पुस्तकें लिखीं। जिसमें भातखंडे संगीत-शास्त्र प्रमुख हैं। जिसके चार भाग और क्रमिक पुस्तक-मालिका के छह भागष्। इन भागों में हिन्दुस्तान के पुराने उस्तादों की घरानेदार चीजें स्वरलिपिबद्ध करके प्रकाशित की गई है।