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करोड़ों की जमीन 65 हजार में हड़पने में सहयोगी दिख रहे खाकी व राजस्व कर्मी एग्रीमेन्ट की जगह फर्जीवाड़े की शिकायत दरकिनार, कब्जेदारी में पुलिस ही उलझा रही मामला

बाराबंकी। किसान की जमीन गिरवी रखने के नाम पर फर्जीवाड़ा कर रजिस्ट्री करा ली गई। विदेश से दो वर्ष बाद पापस लौटने पर उधार रकम वापस करने गए किसान को फर्जीवाड़े की जानकारी हुई तो अब उसे भ्रष्टाचार में लिप्ट सिस्टम के चलते न्याय मिलना तो दूर फर्जीवाड़ा गैंग के सहयोग में ही पूरा सिस्टम दिखाई दे रहा है। जिसमें पुलिस जहां मुख्य बात कि अगर जमीन बेची तो जमीन की कीमत कैसे व कहां दी के सबूत खंगालने की जगह पीड़ित परिवार को खामोश करने के प्रयास में जहां पूरे परिवार पर कानून का दुरूपयोग करते हए उसे धारा 107/16 में पाबंद किया तो वहीं लगातार किसान के परिवार द्वारा जिस जमीन में फसल बोई जा रही है उसे अपनी रिपोर्ट में लेखपाल खाली बता रहा है जबकि फसल में साफ दिख रहा है कि फसल बोई हुई है। मामले न्यायालय में भी विचाधीन व जज द्वारा वस्तु स्थिति पूर्ववत बनाए रखने के लिए आदेशित है लेकिन भ्रष्टाचार की बह रही गंगा में सुविधा शुल्क के आगे सब बेकार साबित हो रहा है। मामला थाना जैदपुर के ग्राम मचैची परगना सतरिख तहसील नवाबगंज के निवासी अमित कुमार पुत्र राजेश कुमार का है जो वर्ष 2018 के अन्त में सऊदी अरब जाने के लिए थाना जैदपुर के ग्राम अब्दुल्लापुर निवासी शिव कुमार पुत्र राम नारायण के मार्फत थाना जैदपुर के ही ग्राम फतुल्लापुर मजरे मचैची निवासी मनोज कुमार पुत्र राम प्रकाश से 65000 रुपए उधार लेने के लिए अपनी करोड़ों की जमीन गिरवी रख कर लिए जिसमें आरोपियों ने फर्जीवाड़ा करते हुए अमित को विश्वास में लेकर तीन-चार बार रजिस्ट्री ऑफिस बुलाया एवं रजिस्ट्री ऑफिस वालों के मिली भगत के चलते बजाय जमीन गिरवी रखने के एग्रीमेंट के अपनी पत्नी के नाम अमित की पूरी जमीन रजिस्ट्री करा ली। जिसका पता सऊदी अरब से 2 साल बाद लौटने पर जब अमित अपने जमीन छुड़वाने के लिए रुपए 65000 व ब्याज लेकर आरोपियों के पास गया। तो उनके द्वारा पता चला कि उन लोगों ने फर्जीवाड़ा कर उसकी जमीन लिख वाली है जिसमें सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि अगर मान लो अमित ने अपनी जमीन रजिस्ट्री भी की है तो जमीन की वास्तविक कीमत उसको कहां मिली बगैर वास्तविक कीमत मिले रजिस्ट्री ऑफिस के जो रजिस्ट्रार हैं व अन्य स्टाफ है उन्होंने रजिस्ट्री कैसे कर दी। जबकि अमित के आरोपी को अगर सच मान जाए तो उसने जमीन गिरवी रखी थी ना की बची थी। इसकी शिकायत जब उसने पुलिस में की व न्यायालय में भी इस संबंध में मुकदमा दायर किया। तो कोर्ट ने तो मौजूदा स्थिति बनाए रखने का जहां स्टे दिया वहीं पुलिस व राजस्व विभाग ने फर्जी वाला करने वालों के साथ मिलकर किसान की जमीन हड़पने का पूरा फर्जी ड्रामा ही क्रिएट कर दिया। जिसमें एक तरफ तो लेखपाल ने अमित के परिवार जनों द्वारा  बोई फसल को ही नजर अंदाज करते हुए खेत को खाली दिखाए तो दूसरी तरफ खेत पर 4 साल से फर्जीवाड़ा करने वालों का कब्जा भी दिखा दिया। ऐसा कैसे संभव है यह जताने के लिए जमीन मालिक द्वारा खींची गई फोटो ही प्रमाण के रूप में समक्ष है। फिलहाल फर्जीवाड़े के इस मामले को लेकर क्षेत्र में जहां पुलिस प्रशासन की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। तो दूसरी तरफ सरकार के दावों को लेकर भी चर्चाओं की बाजार गर्म है कि क्या राम राज्य में भी वह माफियाओं व साहूकारों की जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली रणनीति काम करेगी? या लोगों को अपने जान माल व संपत्ति की सुरक्षा भी प्राप्त होगी। यह बड़ा प्रश्न है मामले में अमित ने लेखपाल वी मुकामी पुलिस के खिलाफ शिकायत करते हुए मुख्यमंत्री सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से गुहार लगाते हुए न्याय की मांग की है। पीड़ित ने लेखपाल पर लगाया धमकी देने का आरोप
बाराबंकी। पीड़ित की बातों को अगर सच माना जाए तो लेखपाल ने उसे मामले में अगर शांत नहीं बैठे। तो तुम्हारे खिलाफ पुलिस तो कार्रवाई करेगी ही हम लोग भी तुम्हारी जमीन को कुर्क करा देंगे। जब की पूरी जमीन पर विवाद न्यायालय में लंबित है और न्यायालय ने वस्तुस्थिति  पूर्व की भांति बनाए रखने का आदेश दिया है

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Author: cnindia

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