मसौली, बाराबंकी। रसायनिक कीटनाशक का प्रयोग करने के बजाय लाइट ट्रैप से कीटो से छुटकारा पाया जा सकता है इसके आलावा रसायनों का अधिक तथा अनुचित मात्रा में उपयोग से मिट्टी भी धीरे-धीरे बंजर भी होने लगती है. इन्ही परिणामों को देखते हुए समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकों को अपनाया जाना बहुत जरूरी है।
उक्त बाते शुक्रवार को ब्लाक मुख्यालय स्थित वमेंन सर्विस होम मे चल रहे दो दिवसीय आई पी एम प्रशिक्षण कार्यकम के समापन पर किसानो एव बागवानो से रूबरू
होते हुए संयुक्त निदेशक डाॅऊऊऊ ज्ञान प्रकाश सिंह ने कही उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आये प्रगतिशील किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन को अपनाकर किसान बगैर रसायन के गुणवत्तायुक्त आम उत्पादन कर भारत से यूरोपीय देशों के साथ- साथ ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड तथा खाड़ी देशों को आम निर्यात कर सकते हैं। डा. सिंह ने कहा कि एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन अपनाने से किसानों की लागत में कमी आयेगी और कीटनाशक अवशेषमुक्त कृषि उत्पादन से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उचित मूल्य मिलेगा परिणामस्वरूप किसानों की आय में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इस दो दिवसीय कार्यक्रम में प्रशिक्षित समस्त किसान मास्टर ट्रेनर हो गए हैं और अपने साथ के समस्त किसानों के मध्य आई पी एम की लोकप्रियता को बढ़ाएं। समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित असद किदवई ने अपने सम्बोधन में कहा कि रासायनिक कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग के कारण कैंसर जैसी तमाम बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः अब समय आ गया है कि किसान आई पी एम अपनाएं और जैविक कीटनाशकों के प्रयोग पर जोर दें। केंद्रीय टीम द्वारा आई पी एम की विभिन्न विधियों के बारे में विस्तार से बताया गया और उसका प्रयोगात्मक प्रदर्शन भी किया गया। भारत सरकार की टीम द्वारा एनपीएसएस एप की उपयोगिता एवं उसके बहुआयामी लाभ के बारे में बताया गया। आई पी एम प्रर्दशनी का किसानों ने अवलोकन किया तथा आई पी एम विशेषज्ञों से खेती से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं का समाधान प्राप्त किया। कार्यक्रम में शैलेश कुमार, अमित कुमार सिंह,वनस्पति संरक्षण आधिकारी तथा राहुल सुतार एवं अमित सिंह, सहायक, वनस्पति संरक्षण अधिकारी, धर्मराज सिंह, फराज अहमद खान एवं प्रवीण चंद्रा वैज्ञानिक सहायक उपस्थित रहे।