दीने इस्लाम का मरकज हैं जनाबे मौलाना सैफ अब्बास
बाराबंकी। मोहल्ला लाइन पुरवा स्थित स्व कल्बे अब्बास के अजाखाने से जुलुस-ए-इमाम हुसैन निकाला गया। जिसकी मजलिस को शिया मरकजी चाँद कमेटी के प्रसीडेंट मौलाना सैफ अब्बास नकवी ने संबोधित किया।
उन्होंने ने अपने संबोधन ने कहा कि विलायते अली माँ की मीरास से मिलती है। दीने इस्लाम का मरकज जनाबे फातिमा है क्योंकि इस्लाम बचा है तो जनाबे फातिमा की वजह से बचा है। एहलेबैत से मोहब्बत करने वाले को अल्लाह अपनी हिफाजत में रखता है। अंत में मौलाना ने कर्बला के दर्दनाक मसाएब बयान किया। मजलिस से की शुरुआत कलामे पाक से हुई।
जिसको वैज हुसैन (अशफी) ने की उसके बाद शायर कशिश संडेलवी, आरिज जरगावी, मोहम्मद शाकिर, अदनान रिजवी, जाकिर इमाम, कामियाब संडेलवी, मोहम्मद आबान हुसैन, अल्फी हुसैन, मोहम्मद मुर्तुजा अली, अली अब्बास रिजवी (गदीर) ने नाजरानाये अकीदत पेश किये। मजलिस के बाद जुलूस निकाला गया।
जिसमे जौनपुर रन्नो से आये नोहाखव्वान मोहम्मद शाकिर ने अपने अंदाज में नौहखानी की। हिंदुस्तान की मशहूर अंजुमने हाये मातमी हुसैनी ब्रदर्स कानपूर, दश्ते कश्मीरी लखनऊ, बाबुल मुराद लखनऊ, पैगामे हुसैनी जैदपुर, नुसरतुल अजा संगौरा, अंजुमन गौसिया कोठी, शहर बाराबंकी की अंजुमने गुंचाये अब्बासिया, इमामिया कटरा, गुलामे अस्करी ने अपने-अपने अंदाज में नौहखानी और सीनाजनी की। जुलूस में निजामत के फरायज को कामयाब संडेलवी ने अंजाम दिया। जुलूस में कर्बला के शहीद इमाम हुसैन का शबीह-ए-ताबूत, हजरत अब्बास की निशानी अलम, हजरत इमाम हुसैन के बेटे हजरत अली असगर का गहवारा शामिल किया गया। अजादारों ने इन तबर्रुकात की जियारत कर दुआयें मांगी।
जुलुस देवा रोड रफी नगर, दुर्गापुरी, होता हुआ लाइन पुरवा स्थित स्व० अली शब्बर के अजाखाने में पहुँचा। जहाँ पर अलविदाई मजलिस को जाकिर ए अहलेबैत दिलकश रिजवी ने संबोधित किया।
प्रोग्राम समाप्ति के बाद नासिर मेंहदी रजा, अकबर मेहँदी रजा, बाबर मेहँदी रजा, सिकंदर अब्बास रिजवी, शब्बर रिजवी ने मोमनीन व पुलिस प्रशासन का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।