-बाहर की दुकानो से लिखा गया था इंजेक्शन
-चिकित्सक की लापरवाही से मैत में नियमानुसार गठित टीम द्वारा नहीं कराया गया पोस्टमार्टम
(संजय वर्मा ‘‘पंकज’’)
बाराबंकी। जानकारियों के सहीं माने तो जिला चिकित्सालय इलाज के लिए पहुंची अम्बेडकर छात्रावास की छात्रा का निधन गलत इंजेक्शन लगाने के चलते इंजेक्शन लगाते ही 5-10 मिनट में हे गया। जिसपर चिकित्सक को बचाने के प्रयास में नियमानुसार गठित बाहर के चिकित्सकों की टीम की जगह स्थानीय चिकित्सक द्वारा बिना पैनल गठित किए पोस्टमार्टम तक करवा दिया गया और सीएमओ, डीएम व कानूनविद होने के अहं में गर्वान्वित एसपी तक ने इसपर आपत्ति दर्ज नहीं कराई। पीड़ित परिवार जो डीएम के अर्दली का रिश्तेदार बताया जा रहा है ने पहले जिला प्रशासन और बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाने की बात बताई है। लेकिन बावजूद इसके जिमेमेदारों का बौधिक स्तर इस अमानवीय घटनाओं में जागृत ना होने पर जहां चतुर्थ स्तंभ को अचंभित किए है वहीं सीएमओ की खामोशी उनके इमानदार होने के दावे की हवा निराल रही है। जिसमें उन्होंने पत्रकारों के सामने अपनी मेहनत की कमाई तनख्वाह से जनसेवा का दावा किया था। लेकिन प्रतिबंधित दवा की बिक्री में प्रति दुकान 10 हजार रुपये की वसूली के दावे का स्टिंग आपरेशन व तमाम झोलाछाप सहारे चल रहे नर्सिंग होम, चिकित्सालयों से 5-10 हजार प्रति माह वसूली की खबरें इमानदारी की हवा निकाल कुृछ और बयान कर रहीं हैं।