भारत में हृदय रोगियो की संख्या बढ़ती ही जा रही है ।अनियमित दूषित खान पान और भागम भाग वाली जीवन चर्या कै कारण होने वाले इस रोग से सर्जन की भी चांदी हो रही है । किन्तु इस रोग और धन की बर्बादी से बचना भी आसान है यदि आप चाहे। इसके लिए श्रेष्ट है लौकी का जूस …
जूस कैसे बनावे
लम्बोत्तर लौकी (घिया) ले इसे अच्छी तरह धो पोंछ लें फिर हल्का हल्का छिलका उतार कर कद्दूकस कर लें, इसके बाद इसे सिलबट्टे या ग्राइंडर से पीस लें, पीसते समय इसमें ;5-7 तुलसी, 5-7 पुदिने की पत्तियां मिला लें, इस पिसे हुए पेस्ट को साफ कपडे से छान लें, ये रस 125 ग्राम होना चाहिए, इस रस में 125 ग्राम साफ पानी मिला कर 250 ग्राम बना लें, अब इसमें 5-7 पिसी काली मिर्च और एक ग्राम सेंधा नमक मिला लें,
ये दवा की एक मात्रा तैयार हो गयी।
सेवन विधि :
हृदय रोगी को दिन में 3 बार सुबह दोपहर शाम भोजन के आधा घंटे बाद एक मात्रा लेनी है। पहले 3 -4 दिन इस दवा को पीने से पेट में कुछ गड़गड़ाहट होगी, पतले दस्त हो सकते हैं, उनसे घबराना नही है, 3 -4 दिनों में पेट के सभी विकार मल के साथ बाहर निकल कर पेट स्वस्थ हो जाएगा।
इन रोगों में भी लाभकर है लोकी जूस
अम्लीयता, कब्ज, भूख ना लगाना, एसिडिटी, खट्टी डकार, अनावश्यक मोटापा, रक्त अशुद्धि, किडनी की समस्याएं, मूत्र की जलन, आंतो की समस्या, बवासीर, मधुमेह, उच्च रक्त चाप, लिवर रोग इत्यादि
इस उपचार को दो से तीन महीने आवश्यकता अनुसार लेने से हृदय रोगी ठीक हो जाते हैं, बाई पास सर्जरी की ज़रूरत नही रहती, ये अनुभूत उपचार है, कभी असफल नही होता।