बाराबंकी- भारी भ्रष्टाचार में गांधी जी के ना देखने वाले, ना सुनने वाले और ना बोलने वाले बंदरों के सदृश्य हो चुकी सरकारी व्यवस्थाओं में ना तो अब न्याय सुलभ है, ना सुरक्षा, ना बेहतर सस्ती या निःशुल्क शिक्षा और तो और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का भी जबरदस्त टोटा। जिसमें लोगों की मानें तो नामी गिरामी चिकित्सकों के नाम पर चल रहे निजी नर्सिंग होम-अस्पतालों में अनट्रेण्ड कर्मचारी चिकित्सक बन सरकारी अस्पताओं से दलालों द्वारा बरगला कर भेजे जा रहे मरीजों व तीमारदारों को शोषण करने या कह लें एक तरीके से खून पीने में जुटे हैं। तो जिला अस्पताल का ट्रामा सेण्टर भी चिकित्सकों की असंवेदनशील लापरवाहियों के चलते रेफर सेन्टर बन कर रह गया है। जो दुर्घटना में होने वाली मौतों की मुख्य वजह भी बन चुका है।
बताते चलें कि जिला महिला अस्पताल में महिला गैंग सक्रिय हैं। यहां प्रसूता आते ही, महिला गैंग उनको अपनी बातों के जाल में फंसा लेती हैं। इसके बाद वह इमरजेंसी पहुंचने से पहले प्रसूताओं की सौदेबाजी करती हैं। वह पहले तो निजी अस्पताल में ले जाने की सलाह देती हैं अगर परिवार तैयार न हो तो वह महिला अस्पताल के बारे में इतना डरा देंती हैं। प्रसूता फिर भी बातों में न आएं तो उन दलालों द्वारा जिला महिला अस्पताल के अंदर तैनात डॉक्टर व स्टाफ से ऐसी साठगांठ है की आए हुए मरीजों को कोई ना कोई कमी बात कर लखनऊ के लिए रेफर बना दिया जाता है यहीं से असली खेल शुरू होता है। सूत्रों की बात सही मानी जाए तो जिला महिला अस्पताल के ओपीडी के बाहर दलालों का एक समूह एक्टिव रहता है जैसे ही वहां पर मरीजों को रेफर किया जाता है तुरंत उसके बाद वह दलाल मरीज को बहला फुसला व डराकर प्राइवेट अस्पताल ले जाते हैं और उन निजी अस्पतालों से एक मोटी रकम वसूलते हैं।जिसका कुछ हिस्सा जिला अस्पताल में तैनात कर्मचारियों को भी जाता है जिसके चलते यह खेल वर्षों से चल रहा है आए दिन शिकायतें होती हैं पर पैसों का बंदरबाट शायद ऊपर तक होता है।जिसके चलते कभी कोई कार्रवाई नहीं होती। एक मामला तब सामने आया जब मोहम्मद इमरान निवासी पीरबटावन ने जानकारी देते हुए बताया कि उसकी पत्नी कहकशा को डिलीवरी के लिए जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था रात्रि लगभग 3 बजे महिला अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने खून की कमी बता महज 15 मिनट के अंदर खून की व्यवस्था करने को कहा और व्यवस्था अगर 15 मिनट के अंदर ना हो पाए तो मरीज को रेफर कर दिया जाएगा ऐसी बात बताई। ऐसे में कोई मरीज 15 मिनट के भीतर खून की व्यवस्था कहां से कर लेगा यह बात तो डॉक्टर साहब भी जानते थे इसके बाद उसने मीडिया कर्मी से रात्रि में ही मदद की गुहार लगाई। रात्रि में 3रू00 बजे मीडिया कर्मी द्वारा जिला महिला अस्पताल के सीएमएस से उनके सीयूजी नंबर पर फोन पर वार्ता कर पूरी बात बता मरीज की दिक्कतों से अवगत कराया। इसके बाद रात्रि में तैनात डॉक्टर ने मरीज का रेफर बना दिया और वहां से निकलते ही इमरान के बताए अनुसार दलालों के समूह ने उसे घेर लिया और अपने-अपने निजी अस्पतालों का नाम बता वहां ले जाने को कहने लगे।डरे सहमे इमरान ने पत्नी कहकशां के साथ कोई अनहोनी ना हो जाए वही तैनात किसी आशा बहू के कहने पर एक निजी अस्पताल में अपनी पत्नी को भर्ती करा दिया। जहां रात में ही ना किसी तरह की खून की कमी पाई गई और एक सफल ऑपरेशन से उसे पुत्री हुई। यह कोई एक मामला नहीं है ऐसे सैकड़ो मामले हैं जिनमें आशाओं द्वारा व दलालों द्वारा लगातार अस्पतालों से मरीजों को निजी अस्पतालों में भेजा जाता है और वहां से उनकी मोटी कमाई होती है। ऐसे में यह सब जिला प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है और जिला जिले के कोई भी अधिकारी इससे अनभिज्ञ नहीं है। वह कौन सी ऐसी सुविधाएं हैं जो जिले के महिला अस्पताल में उपलब्ध नहीं है और मानक विहीन निजी अस्पताल में उपलब्ध हैं। अब देखने वाली बात होगी कि कब इन दलालों पर जिला प्रशासन का हंटर चलेगा।