हैदरगढ़, बाराबंकी- भगवान भक्त की भक्ति भावना के वशीभूत हैं। वह अपने भक्त के दुखों का निवारण करते हैं। ऐसा विश्वास जब स्थाई हो जाता है तब भक्त का कल्याण हो जाता है। उक्त बात मानस मर्मज्ञ अजय कुमार शास्त्री ने ब्रह्मलीन बाबा प्रेम दास जी की कुटी पर महंत 108 लालता दास जी महाराज जी के संयोजन में आयोजित श्री रामचरितमानस सम्मेलन व महायज्ञ कार्यक्रम में कहीं।
मानस मर्मज्ञ अजय शास्त्री ने बताया कि भगवान श्री राम एवं सीता जी के स्वयंवर में प्रभु ने माता जानकी के हृदय की वेदना को आत्मसात किया और फिर उन्होंने पल भर में धनुष भंग कर दिया। उन्होंने कहा की माता जानकी जी का स्वयंवर हमें पाणीग्रहण के संस्कारों के मूल्यो की शिक्षा को प्रदान करता है। अमेठी से आए आचार्य देवी प्रसाद पांडे ने कहा कि भगवान श्रीराम का पूरा जीवन मर्यादाओं से युक्त है। हम उनके जीवन से तमाम शिक्षा प्राप्त करके अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं। रामनगर से पधारे तरंग ने कहा कि मानस सम्मेलन मनुष्यों को जीवन जीने की सर्वोत्तम दिशा प्रदान करता है। ऐसे में आज मानस सम्मेलनों की नितांत आवश्यकता है।
प्रमुख रूप से बाबा रामतीरथ दासजी महाराज, उत्तराधिकारी महंत अखिलेश्वर दासजी महाराज, सच्चिदानंद, महेंद्र कुमार मिश्रा, राम नरेश वैश्य, सामाजिक कार्यकर्ता कृष्ण कुमार द्विवेदी राजू भैया, किंकर, संतोष कुमार, माताफेर, गिरिजा शंकर शर्मा, बाबा सालिग्राम, कमल तिवारी, ब्रजनंदन शर्मा, जितेंद्र चैहान, आचार्य भगौती, अंबिकेश सिंह, रामशरण तिवारी जुगई यादव, रमेश पाल, हरी कृष्ण, शिवभीख सिंह, शुभम वैश्य,आदित्य शर्मा, शंकर बक्स सिंह सहित सैकड़ों भक्त जन उपस्थित रहे।