हैदरगढ़, बाराबंकी- ऐसा पहली बार होगा जब जिले के तीन कवियों को जगद्गुरु भगवान् रामभद्राचार्य के विश्वविद्यालय में एक साथ काव्यपाठ करने के लिये आमंत्रित किया गया हो। ये पूरे जिले के लिये बड़े गौरव की बात है।
जिसमें से 2 कवि डा. रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी प्रलयंकर जी और दुष्यंत शुक्ला सिंहनादी दूरदर्शन पर अपनी प्रस्तुति समय समय पर देते रहते हैं। ये कवि किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। प्रलयंकर जी की कई लिखी हुई पुस्तकें स्कूलों में पढ़ाई भी जा रही हैं! रामेश्वर प्रसाद द्विवेदी प्रलयंकर के संयोजन मे अवकाश प्राप्त माध्यमिक शिक्षक संघ के अधिवेशन समारोह मे जगदगुरू स्वामी रामभद्राचार्य जी के दिव्यांग विश्वविद्यालय चित्रकूट मे आयोजित कवि सम्मेलन मे काव्यपाठ करेगे। जनपद बाराबंकी के ओजस्वी कवि दुष्यन्त शुक्ल सिंहनादी एवं गीतकार भवानीप्रसाद तिवारी कमल।
प्रलयंकर जी की एक प्रसिद्ध रचना है ष्केवट से मिलते वशिस्ठ जी गले से गले, भरत को राज्य का भी मोह न सताता है। जहा पे खडाऊं भी चलाते दिखे राजपाट, एक सींक बाण महावीर को गिराता है। जहा के शत्रुधन कुछ बोलते न दीखते है, उर्मिला विरह महा सिन्धु लहराता है। जहा पे पयादे पाँव रावण को मारे राम।।
देव वृन्द धरती पे पुष्प बरसाता हैष्! इसके साथ ही भवानी प्रसाद तिवारी ष्कमलष् सहरी इस्लामपुर हैदरगढ़ से प्रसिद्ध गीतकार जिनकी रचना लोगों को खूब भाती है, पाक तू है नदी छोटी, मेरा भारत समन्दर है। तेरी औकात सारी मेरे इक सूबे के अंदर है, पड़ा है आज भी झेलम का तट, ले देख आंखों से! यहीं से मांग कर हारी गया वापस सिकंदर है,।
दुष्यंत शुक्ला सिंहनादी, घटमापुर देवीगंज निवासी प्रख्यात कवि बुजदिल है वो मानव जिसमें देशप्रेम का ज्वार नहीं!
वो कायर है जिसको अपनी मातृभूमि से प्यार नहीं।
ये कवि एक साथ चित्रकूट धाम में काव्यपाठ करेंगे, इनका काव्यपाठ सुनने के लिये लोग व्याकुल हैं! सभी कवि रविवार को होने वाले कवि सम्मेलन के लिये चित्रकूट के लिये प्रस्थान कर चुके हैं।।