सतरिख, बाराबंकी- स्थित टी.आर.सी. लॉ काॅलेज में विधिक साक्षरता दिवस के अवसर पर एक विधिक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक ‘‘अवैध कृत्यों से बचने के लिए कानूनी जागरूकता‘‘ था। कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में डाॅ अविनाश मिश्रा, प्राचार्य जस्टिस लॉ काॅलेज, उपस्थित रहे। साथ ही विधिक साक्षरता अभियान के तहत रैली निकालकर किशोर न्याय अधिनियम, मघ्यस्थता, भरण-पोषण, निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा एवं अन्य विधिक सेवा सम्बन्धी योजनाओं की जानकारी आम जन मानस को दी गई।
एक दिवसीय कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए डॉ मिश्रा ने बताया कि हम अपने जीवन में प्रतिदिन कानूनी चुनौतियों का सामना करते हैं। जिसमें मोटर यान अधिनियम, संविदा अधिनियम, खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं न्यूनतम मजदूरी अधिनियम आदि शामिल हैं। उन्होने कहा कि सर्वप्रथम हमें भारत के लीगल सिस्टम को समझना होगा जो हमारी सर्वोच्च विधि है और विधिक जागरूकता का पहला प्रश्न होता है कि हमारा लीगल सिस्टम कैसे कार्य करता है। आगे उन्होने छात्र-छात्राओं को बताया कि संविधान का मूलभूत सिद्धान्त नैतिकता है जिसके अन्तर्गत विधि आती है। संविधान व्यक्ति की गरिमा एवं राष्ट्र की एकता और अखण्डता की बात करता है जो बन्धुता के नैतिक मूल्यों से ही प्राप्त हो सकता है। विश्व के 70 देशों में प्रारम्भिक स्तर से ही विधिक शिक्षा प्रदान की जाती है ऐसा भारत में भी होना चाहिए क्यांेकि भारत में एक विधिक सिद्धान्त है कि विधि की भूल क्षम्य नहीं है इसलिए विधि का सामान्य ज्ञान सभी को होना जरूरी है। जबकि विधि का ज्ञान भारत में स्नातक स्तर पर प्रदान किया जाता है। इसलिए विधिक जागरूकता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है क्योंकि नैतिक मूल्यों का पालन करने वाला व्यक्ति ही विधि का पालन कर सकता है। उन्होने छात्र-छात्राओं को एफ.आई.आर. कैसे दर्ज कराएं, खसरा-खतौनी, यातायात नियम, वस्तुओं की वैद्यता तिथि, डिजिटल बैंकिग, साइबर क्राइम आदि की जानकारी देने के साथ-साथ इसके दुरूपयोग से कैसे बचें इसके बारे में भी बताया। कार्यक्रम के अगले चरण में छात्र-छात्राओं द्वारा एक जागरूकता रैली निकाली गयी जिसमें आम जनमानस को जागरूक किया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य, प्रवक्ता गण एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।