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प्रणाम आसन के फायदे प्रणाम आसन करने की विधि

प्रणाम आसन को सूर्य नमस्कार का सबसे पहला आसन है। इस आसन को उठते ही सबसे पहले करना चाहिए। प्रणाम की मुद्रा विनम्रता का सूचक होती है. प्रणाम आसन हमारे शरीर के लिए बहुत ही आवश्यक है। इस आसन को सूर्य को नमस्कार करने के लिए किया जाता है।

प्रणाम आसन के फायदे

प्रणाम आसन करने से हमारा मन शांत रहता है।

प्रणाम इस मुद्रा मे किया जाता है जिससे हमे लगता है कि हम किसी का आदरसत्कार कर रहे है।

सुबह-सुबह प्रणाम करने से हमारा दिन अच्छा रहता है तथा इससे सहनशीलता का विकास होता है।

प्रणाम आसन को सबसे पहले तथा सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

इसको करने से हमारे हाथों व पैरों का योगा होता है।

हमारे हाथ के तंतु मष्तिष्क के तंतुओं से जुड़े होते हैं। दोनों हाथों की हथेलियों को एक साथ दबाने से हृदयचक्र में सक्रियता आती है जिससे मन की एकाग्रता बढ़ती है।

प्रणाम सीधे खड़े हो के करना चाहिए।

प्रणाम आसन करने की विधि

इस आसन को आप सीधे खड़े हो कर या एक पादासन की स्थिति के या बैठकर वज्रसान सुखासन य़ा अन्य योग्य आसनों में भी किया जा सकता है

हम यहा खड़े होकर किए जाने की विधि बता रहे है

प्रणाम आसन को करने के लिए सबसे पहले आप सीधे ताडासण की मुढ्र में खड़े हो जावे

अब आप अपने हाथो को सामने लाकर अपने दोनों हाथों की हथेलियो को आपस मे मिलाकर उगलियों के ऊपर उंगली रख के हाथो को आपस मे दबाएँ।

अब आंखे बंद करे तथा अपने मन को स्थिर करके हाथ प्रणाम की मुद्रा मे करके हाथो को छाती से सटाएँ।

उसके बाद दोनों हाथो की कोहनी को दाएँ तथा बाएँ ओर तान दे तथा हाथ को आराम-आराम से मस्तिष्क तक लेके जाए।

दोनों हाथो को आपस मे जोड़कर नमस्ते करना प्रणाम कहलाता है।

 

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Author: cnindia

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