सिद्धौर, बाराबंकी- क्षेत्र के जरौली गांव में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन बुधवार को कथा व्यास आचार्य प्रकाश चंद्र पांडेय विद्यार्थी ने कालिया नाग मर्दन प्रसंग का वर्णन किय। कथा को विस्तार देते हुए कथा व्यास ने भक्तजनों को संदेश दिया कि अहंकार कभी नहीं करना चाहिए।भले ही सभी सांसारिक वस्तुओं की प्राप्ति हो गई हो क्योंकि अहंकार भगवान का भोजन है।इसे त्यागने में ही मनुष्य की भलाई है।यमुना नदी में वास करने वाले कलिया नाग को भी अपनी शक्ति पर बहुत घमंड था।उसने यमुना जल को विषैला बना दिया था।एक दिन श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ गेंद खेल रहे थे कि तभी गेंद यमुना में चली गई।जिसे निकलने के लिए श्रीकृष्ण यमुना में कूद गए।जहां उनका सामना कालिया नाग से हुआ।दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ।अंततः प्रभु ने कालिया नाग का समस्त घमंड चूर – चूर कर दिया और उसके फन पर चढ़कर नृत्य करने लगे।कालिया नाग के क्षमा मांगने पर प्रभु ने उसे क्षमादान दे दिया।बाद में कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह प्रसंग से जुड़ी कथा का भी वर्णन किया। गांव के कुलकरन मिश्र के संयोजन में चल रही इस कथा का छठवां दिन यादगार बन गया। गांव निवासी एडवोकेट वेदप्रकाश पाठक मोनू समेत कई भक्तों ने जहां कथा व्यास विद्यार्थी जी का सम्मान कर व्यास पीठ का आशीर्वाद लिया वहीं रुक्मिणी विवाह का उत्सव भी मनाया गया। महिलाएं ने इसमें बढ़ चढ़कर भागीदारी निभाई।देर शाम तक भक्त कथा का आनंद लेते रहे।