नई दिल्ली : कोरोना महामारी के पहले से महंगाई की मार झेल रहे भारत के आम उपभोक्ताओं के लिए एक राहत भरी बड़ी खबर है और वह यह कि उन्हें चालू वित्त वर्ष 2022-23 में महंगाई से निजात मिलने की उम्मीद नहीं है. विश्व बैंक की ओर से मंगलवार को जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 7.1 फीसदी रहने की उम्मीद है, लेकिन उसने यह आगाह किया कि कमोडिटी की कीमतों में गिरावट मुद्रास्फीति के दबाव को कम कर सकती है. भारत की अक्टूबर की मुद्रास्फीति पिछले महीने के 7.41 फीसदी से घटकर 6.77 फीसदी हो गई, मुख्य रूप से खाद्य क्षेत्र में कीमतों में कमी के कारण यह लगातार 10वें महीने रिजर्व बैंक के आराम स्तर से ऊपर रही.
अगले वित्त वर्ष में महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद
विश्व बैंक ने मंगलवार को ‘नेविगेटिंग द स्टॉर्म’ शीर्षक से अपनी भारत विकास रिपोर्ट जारी की है. विश्व बैंक की ओर से जारी मुद्रास्फीति का अनुमान आरबीआई की सीमा से थोड़ी अधिक है. इसके लिए मुख्य कारक काफी हद तक भोजन है और हमारी उम्मीद है कि अगले साल तक मुद्रास्फीति कम हो जाएगी और आरबीआई के 2 फीसदी से 6 फीसदी के दायरे में आ जाएगी. विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के लेखक ध्रुव शर्मा ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति घटकर 5.1 फीसदी हो सकती है.
मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी ने चुनौतियों के प्रबंधन में निभाई अहम भूमिका
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की राजकोषीय नीति ने मुद्रास्फीति पर उच्च वैश्विक तेल की कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पाद शुल्क और ईंधन पर अन्य करों में कटौती करके आरबीआई की दर कार्रवाइयों का समर्थन किया. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी आगाह किया गया है कि भारत के विकास और उपलब्ध नीति स्थान पर वैश्विक स्पिलओवर के प्रतिकूल प्रभाव को सीमित करने की कोशिश के बीच एक समझौता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मैक्रोइकोनॉमिक पॉलिसी (राजकोषीय और मौद्रिक) के दोनों लीवर ने पिछले एक साल में उभरी चुनौतियों के प्रबंधन में भूमिका निभाई है.