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काशी की अद्भुत होली,घर से घाट तक उड़े गुलाल,महादेव के साथ भक्तों ने मनाया होली का त्योहार

काशी की अद्भुत होली,घर से घाट तक उड़े गुलाल,महादेव के साथ भक्तों ने मनाया होली का त्योहार

वाराणसी। देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में कहीं होरियारों की टोली तो कहीं डीजे की धुन पर थिरकते युवा जोश के साथ मस्ती में डूबते और उतराते रहे।घरों से शुरू हुआ गुलाल का उड़ना दिन चढ़ने के साथ ही सड़कों पर उड़ने लगा। घरों की रसोई से पकवान की सुगंध से महमह कर उठे तो बच्चों ने भी धमाल मचाने की तैयारियां शुरू कर दीं।किसी ने पिचकारियों में रंग भरे तो किसी ने गुब्बारों में रंग भरकर फोड़ा।दो दिनों की होलिका दहन और होली के भ्रम को दरकिनार करते हुए आज बुधवार को काशी के लोगों ने जमकर गुलाल उड़ाया।

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में होली का उल्लास बनारस के लोगों के सिर चढ़कर बोला। घर से लेकर गलियों तक रंग बरसा तो अंग-अंग भीग गया।घाट से लेकर सड़कों तक होली धूमधाम से मनायी गयी।हल्की बूंदबांदी के साथ देवराज इंद्र ने काशी की होली के रंग को और मजेदार बना दिया।बुधवार की सुबह होली के रंगों में डूबे युवा और बच्चे मस्ती की तरंग में जगह-जगह डीजे की धुन पर पारंपरिक और भोजपुरी होली गीतों पर थिरक रहे थे। जन-जन के मन के बांध तोड़कर होली का उल्लास और उमंग का रंग दिन चढ़ने के साथ और चटख होता गया।

काशी का कोना-कोना रंगों में भीगा

घर से से लेकर गलियों तक रंग बरसा तो नख से शिख तक रंगों से सराबोर हो उठे।क्या बूढ़े क्या बच्चे सभी को होली का ऐसा रंग चढ़ा कि चेहरा तक पहचानना मुश्किल हो गया था। काशी का कोना-कोना रंगों में भीग गया। घरों से होली की शुरूआत हुई तो बच्चों ने छत, बॉलकनी और बरामदों से हर आने-जाने वालों पर रंगों की बौछार की। किसी को रंग भरे गुब्बारे से मारा तो किसी पर अबीर उड़ाए। जो भी मिला उसको रंगों से सराबोर किए बिना नहीं छोड़ा। गोदौलिया, सोनारपुरा, अस्सी, भदैनी, भेलूपुरा, लंका, सामनेघाट, नरिया, डीरेका, मंडुवाडीह, कमच्छा से लेकर वरुणा पार इलाके में होली के रंग और गुलाल जमकर उड़े। सड़कों और गलियों में डीजे की धुन पर नाचते-गाते युवाओं ने जमकर धमाल मचाया। गंगा किनारे रहने वालों ने गंगा किनारे घाट पर होली खेली। हालांकि नावों पर प्रतिबंध के कारण गंगा उस पार नहीं जा सके।

बाबा विश्वनाथ के साथ भक्तों ने खेली होली

होली की सुबह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों ने बाबा के साथ होली खेली। इसके अलावा शहर के दूसरे मंदिरों में भी देवी-देवताओं के साथ भक्तों ने होली खेली। नियमित दर्शनार्थियों ने बाबा विश्वनाथ, कालभैरव, संकटमोचन, मां अन्नपूर्णा, दुर्गा मंदिर समेत सभी मंदिरों में रंगोत्सव का पहला गुलाल अर्पित किया। काशी की परंपरानुसार चौसठ्ठी घाट स्थित चौसठ्ठी माता के मंदिर में सबसे अधिक जुटान हुआ। श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगी हुई थी और मंदिर में गुलाल की चादर सी बिछ गई थी।

फाग के बाद शाम को खेला अबीर

सुबह से दोपहर तक होली की धुंआधार मस्ती के बाद शाम ढलते ही होली मिलन का दौर शुरू हो गया। घर में पहले देवी-देवताओं को गुलाल अर्पित करने के बाद बड़े बुजुर्गों को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया। उसके बाद रिश्तेदार और दोस्तों से होली मिलने निकल पड़े।

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Author: cnindia

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