बाराबंकी। जनपद कर सर्विलांस व थाना सतरिख की संयुक्त पुलिस टीम द्वारा धर्मेन्द्र हत्याकाण्ड का सफल अनावरण करते हुए अपने ही पिता की हत्या करने वाले पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
बताते चलें कि बीते फरवरी माह की 20 तारीख को थाना सतरिख क्षेत्रांतर्गत कस्बा सतरिख के मोहल्ला गढ़ी निवासी धमेंद्र(52) पुत्र स्व.राम सिंह का शव खेत में पड़ा मिला था जिनके सर पर गहरी चोट के निशान भी लोगों ने देखे थे। जिसको लेकर धमेंद्र के पुत्र हरिओम ने तहरीर देकर अज्ञात लोगों द्वारा पिता की निर्मम हत्या का मामला मुकामी सतरिख थाने में दर्ज कराया था। जिसके बाद एसपी अविनाथ सिंह के निर्देश पर ’सर्विलांस टीम में प्रभारी मीडिया सेल उ.नि. अकिंत त्रिपाठी उ.नि. रमाकान्त, हे.का. रामआधार, हे.का. जितेन्द्र वर्मा, हे.का. मजहर अहमद,. हे.का. अनुज कुमार, का. जरनैल सिंह, का. शैलेन्द्र कुमार, का. सुधाकर सिंह भदौरिया, का. प्रवीण शुक्ला, का. दिव्यांश यादव तथा थानाध्यक्ष सतरिख संतोश कुमार के नेतृत्व में उ.नि. चन्द्रहास मिश्रा, उ.नि.संदीप कुमार पाण्डेय, उ.नि.आजाद यादव, हे.का.संतोष कुमार शुक्ला, हे.का. विवेक प्रताप सिंह, हे.का. रामू यादव, चा.का. विजय कुमार यादव आदि की गठित टीम ने संयुक्त रूप से कार्य करते हुए मैनुअल इंटेलीजेन्स एवं डिजिटल डेटा की मदद से अपने ही पिता की निर्मम हत्या करने वाले कलयुगी पुत्र हरिओम वर्मा को सतरखि स्थित जीआईसी इण्टर कॉलेज के पास बाग से गिरफ्तार किया। पूछताछ दौरान आरोपी पुत्र की निशांदेही पर मृतक का मोबाइल फोन व आलाकत्ल रक्त रंजित ईंट का अद्धा भी पुलिस ने मौके से बरामद किया है।
पुलिस के बताए अनुसार आरोपी ने पुलिसिया पूछताछ में बताया कि मृतक धमेंद्र के नाम 10 बीघे कच्चे जमीन है। उसका विवाह लगभग 30 वर्ष पूर्व जिला लखनऊ के थाना गोसांइगंज के ग्राम महुरा खुर्द निवासी गीता के साथ हुआ था और जिससे इनके एक लड़का हरिओम व एक लड़की है। शादी के करीब 8 साल बाद गीता को न्यूरो की बीमारी हुई तो धर्मेन्द्र ने पैसे की कमी का बहाना बनाकर इलाज नही कराया तब गीता अपने दोनो बच्चो के साथ अपने मायके महुरा खुर्द चली गयी जहां उसके माता व भाई ने उसका इलाज कराया और गीता ठीक हो गयी। इस प्रकार वह मायके में ही चार पांच साल तक रूक गयी फिर गीता जब अपने पति धर्मेन्द्र वर्मा के पास अपने ससुराल आना चाही तो धर्मेन्द्र वर्मा ने उसे लाने से मना कर दिया, तब गीता ने न्यायालय मे घरेलू हिंसा का मुकदमा कर किया था। कुछ दिन बाद लोगो के माध्यम से दोनो पक्षो मे सुलह हो गया और गीता ने मुकदमे मे सुलह लगा दिया था और बतौर पत्नी धर्मेन्द्र गीता को दोनो बच्चो सहित अपने घर रखने लगा। सुलह के बाद भी पूर्व की बातो को लेकर पति पत्नी के रिश्तों में कड़वाहट बनी रही। इसी बीच धर्मेन्द्र का सम्बन्ध पड़ोसी एक महिला से हो गया जो धर्मेन्द की दूर की रिस्तेदार है। इस सम्बन्ध की जानकारी उसकी पत्नी गीता व पुत्र हरिओम को होने पर जब उन्होने विरोध किया तो धर्मेन्द्र वर्मा ने अपने पुत्र हरिओम को अपनी पूरी खेती पड़ोसी महिला के नाम कर देने की धमकी दी। तब पुत्र हरिओम को पूरा विश्वास हो गया कि उसका पिता धर्मेन्द्र अपनी पूरी खेती पड़ोसी महिला के नाम कर देगा। इस बात से वह खिन्न हो गया और उसकी जमीन जायजाद पड़ोसी महिला को न चली जाए इसलिए उसने अपने पिता को रास्ते से हटाने का प्लान बनाया। जिसके तहत 19 फरवरी की रात जब उसका पिता धर्मेन्द्र अपने खेत में मटर की रखवाली करते हुए चारपाई पर सो रहा था तभी देर रात मे हरिओम अपने घर से खेत में आकर सोते हुए अपने पिता की सिर पर ईट से कई बार प्रहार कर उसकी हत्या कर दी। जिसके बाद अभियुक्त ने खुद को बचाने के लिये स्वयं वादी बन कर थाना सतरिख पर अज्ञात के विरूद्ध पंजीकृत करा दिया था।