अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के भाषाविज्ञान विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर एम जे वारसी ने भाषाविज्ञान और संस्कृति अध्ययन केंद्र, मानविकी और सामाजिक विज्ञान विद्यालय, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नॉएडा द्वारा ‘भाषाई समानता, समावेशिता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के लिए दिशा-निर्देश’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ‘मातृभाषा, बहुभाषावाद और राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020’ पर एक विषयगत वार्ता प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा एक बच्चे के संज्ञानात्मक और बौद्धिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और अध्ययनों से पता चला है कि जो लोग अपनी मातृभाषा में धाराप्रवाह हैं, उनकी शैक्षिक सफलता दर उन लोगों की तुलना में अधिक होती है जो अपनी मातृभाषा में निपुण नहीं हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षार्थियों की अनूठी भाषाई और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अधिक उत्तरदायी और सूक्ष्म दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए मातृभाषा शिक्षा को नीतिगत विकास में प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं के पुनर्मूल्यांकन की दिशा में नए सिरे से संसाधन आवंटन और स्पष्ट नीतिगत उद्देश्यों से भारत में एक प्रभावी मातृभाषा-आधारित शिक्षा प्रणाली का अंतिम लक्ष्य प्राप्त होगा