रेलवे अभिलेखागार से मिली जानकारी के मुताबिक भगत सिंह, दुर्गा भाभी और और उनका नौकर बने सुखदेख ये तीनों ही लखनऊ रेलवे स्टेशन पर उतरे। यहां उन्होंने बच्चे के लिए दूध लिया। जबकि, साधु बने चंद्रशेखर आजाद लाहौर – हावड़ा कलकत्ता मेल से उतर कर पानी पिया। और इसी लखनऊ रेलवे स्टेशन से इन चारों क्रांतिकारियों ने कानपुर से कलकत्ता जाने वाली ट्रेन कालका मेल पकड़ी और कलकत्ता पहुंच गए। जबकि पुलिस लाहौर से आने वाली लाहौर-हावड़ा कलकता मेल में इन क्रांतिकारियों को तलाशती रही। 94 साल पहले जिस ट्रेन शहीद-ए-आजम भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद जैसे महान क्रांतिकारियों को लाहौर से लखनऊ पहुंचाई थी। वह ट्रेन आज भी चल उसी रुट पर चल रही है। हां उसमें इतना बदलाव जरूर हुआ है कि देश के बटवारे के बाद अब यह ट्रेन लाहौर की बजाय अमृतसर से कलकत्ता के लिए हर शाम छह बजे चलती है। समय के साथ-साथ इसका नाम भी कलकत्ता मेल से बदल कर अमृतसर – हावड़ा पंजाब मेल हो गया है।