कर्म करने से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। और मोक्ष प्राप्ति का उत्तम साधन है भागवत कथा का श्रवण करना। श्रीमद् भागवत कथा भवरोग एवं मोह दूर करने की औषधि है। उक्त प्रवचन क्षेत्र के गांव कनौरा में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन व्यास भानुप्रकाश शांडिल्य ने कहें। उन्होंने कहा कि भागवत सदैव आचरण सिखाती हैं अगर भाव से इसे श्रवण करें तो प्राणी को विषय वासनाओं से दूर भक्ति के मार्ग पर ले जाती है। भगवान के दरबार में दुनियादारी वाले मुखौटे काम नहीं आते। भगवान सब जानते हैं कि मन में क्या है और चेहरे पर क्या है। सच्चे भक्तों को भगवान हजारों में पहचान लेते हैं इस लिए भगवान के दर पर हृदय निर्मल कर लो। इस अवसर पर मुख्य यजमान त्रिलोक सिंह, सत्यवती देवी, राजपाल सिंह, राजेंद्र सिंह, वीरेंद्र सिंह, पंकज शर्मा, नीरज शर्मा, सूरज, सोनू रावत, प्रवीन रावत, नीतेश शर्मा, गजेंद्र, दुष्यंत आदि थे।