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जैन मुनि के रूप में जब भगवान घर आए। परिवार के लिए यह चमत्कार से कम नहीं था।

मैं अजमेर में पुष्कर रोड स्थित हरि उपाध्याय नगर मुख्य के बी ब्लॉक में रहता हूं। 19 जून को सुबह जब मैं घर के बाहर अखबार का इंतजार कर रहा था, तभी श्वेतांबर समाज के एक जैन मुनि कॉलोनी में नजर आए। जैन परंपरा के अनुरूप मुनि सिर्फ जैन घरों में ही प्रवेश कर रहे थे। जैन मुनि जब मेरे निकट आए तो मैंने झिझकते हुए कहा कि महाराज मैं आपकी परंपराओं को नहीं जानता लेकिन मेरे घर में आपका स्वागत है। मेरे इस विनम्र आग्रह पर जैन मुनि रुके और फिर अगले ही पल घर में प्रवेश करने का इशारा कर दिया। जैन मुनि रसोई में आए तो मेरी पत्नी अचला मित्तल से पूछा कि मिठाई के डिब्बों में क्या क्या है? फिर जानना चाहा क्या बिस्कुट हैं? सहमति पर दो बिस्कुट लिए और अपने परंपरागत पात्र में रख लिए। आशीर्वाद देने के बाद घर से चले गए। मैं यहां यह बताना चाहता हूं कि घर में प्रवेश करने के बाद जैन मुनि ने मेरा नाम पूछ कर जाति की पहचान की। यानी घर में प्रवेश से पहले जैन मुनि को यह पता नहीं था कि मैं किस जाति का हूं। जो लोग सनातन संस्कृति में भेदभाव होने का आरोप लगाते हैं, उन्हें जैन मुनि और मेरे बीच हुई इस घटना को समझना चाहिए। सुबह सुबह जिस अंदाज में जैन मुनि ने मेरे घर में से मात्र दो बिस्कुट ग्रहण किए, उससे मुझे जैन मुनि के रूप में भगवान से मिलने का एहसास हुआ। कॉलोनी में रहने वाले श्वेतांबर जैन समाज के संतोष कांसवा ने मुझे बताया कि जो जैन मुनि मेरे घर आए वे नानक संप्रदाय संघ नायक प्रियदर्शन महाराज थे। महाराज कॉलोनी के निवासी विनय चौधरी के निवास पर ही अपने शिष्यों के साथ ठहरे हैं। आमतौर पर भोजन संग्रहण के लिए ऐसे ही जाते हैं, लेकिन 19 जून को संघ नायक प्रियदर्शनी स्वयं निकले थे, जिन घरों में प्रियदर्शन महाराज का प्रवेश हुआ वह भाग्यशाली हैं। घरों से रोजाना भोजन ग्रहण करना जैन समाज की कठिन परंपरा है। कई बार जैन मुनि घर में प्रवेश के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करते हैं, क्योंकि घर का माहौल धार्मिक भावनाओं के अनुरूप नहीं होता। सुबह जो भोजन सामग्री एकत्रित होती है, वही दिन का भोजन होता है। कोई भी जैन मुनि अगले दिन का भोजन एडवांस में एकत्रित नहीं करते हैं। संतोष कांसवा ने बताया कि प्रियदर्शन जी का चातुर्मास अजमेर में रामनगर स्थित नवकार कॉलोनी के महावीर भवन में 28 जून से शुरू होगा। मैंने इस बात का भी एहसास किया कि जैन मुनि प्रियदर्शन महाराज बहुत सरल और शांत स्वभाव के हैं और उनके चेहरे पर देवव्रत का भाव नजर आता है। मुझे उम्मीद है कि जैन मुनि का आशीर्वाद मेरे परिवार को और सुखमय बनाए।

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Author: cnindia

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