27/07/2024 1:02 pm

www.cnindia.in

Search
Close this search box.

become an author

27/07/2024 1:02 pm

Search
Close this search box.

मणिपुर: चीरहरण और धृतराष्ट्र के घड़ियाली आँसू!

4 मई को मणिपुर के बी-फीनोम गांव में 800-1000 उपद्रवियों की एक सशस्त्र भीड़ ने पहले एक पीड़िता के सामने ही उसके भाई और बाप को मार डाला।महिलाओं के कपड़े फाड़कर नंगा कर दिया, महिलाओं को सड़क पर नंगा घुमा कर बीच सड़क पर उनके प्राइवेट पार्ट्स को बुरी तरह टच किया, भद्दी गालियाँ दिया, धकियाया, इस हिंसा की वीडियो रिकॉर्डिंग किया और उन्हें एकान्त में ले जाकर गैंगरेप किया।सामूहिक बलात्कार और हत्या की ऐसी जघन्य वारदात अभी तक न देखी गयी न सुनी गयी। मगर सरकार इस घटना पर 2 महीने से लीपापोती करती रही।इस घटना के 75 दिन बाद वायरल वीडियो देख कर जब पूरी दुनिया भारत सरकार पर थूकने लगी और सुप्रीम कोर्ट की फटकार पड़ी तब दुनिया के सबसे मोटी चमड़ी वाले (संवेदनहीन) धृतराष्ट्र को शर्म आयी है।मगर शर्म दिखावटी थी। यदि वास्तव में इस व्यक्ति में जरा सी भी शर्म होती तो कम से कम मणिपुर के सीएम से इस्तीफा ही माँग लेता।मगर इसने उत्पीड़ित महिलाओं के प्रति फर्जी सहानुभूति दिखाते समय भी छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों पर निशाना साधते हुए खुद को राजनीतिक रूप से नंगा कर लिया। उफ्फ इतना बेशर्म और नंगा?महाभारत का काल्पनिक धृतराष्ट्र भी इतना बेशर्म नहीं था। फासिस्ट राजनेता भयानक रूप से बेशर्म भी होता है, इतना बेशर्म न हो तो फासिस्ट नहीं हो सकता।
महिलाओं को सड़क पर नंगा घुमाने की घटना के संबन्ध में हुए एफआईआर के मुताबिक, दंगाइयों की एक भीड़ ने एक गांव पर हमला किया, लूटपाट किया और घरों को जला दिया।पांच लोगों का एक परिवार इस भीड़ के क्रूर हमले से बचने के लिए जंगल की ओर भागा पुलिस ने उन्हें बचाने की कोशिश की। लेकिन जल्द ही, जब एक भीड़ ने परिवार को घेर लिया तो उन्हें पुलिस ने उन्हें भीड़ को सौंप दिया।भीड़ ने पुलिस के सामने ही 56 वर्षीय एक व्यक्ति की मौके पर हत्या करने के बाद तीन महिलाओं पर हमला किया, उनके कपड़े उतरवा दिए गए और उन्हें नग्न करके घुमाया गया। भीड़ ने 21 वर्षीय एक महिला के साथ भी कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया।एक 19 वर्षीय युवक ने भीड़ को अपनी बहन पर हमला करने से रोकने की कोशिश की तो उसकी भी हत्या कर दी गई।यह तो एक घटना है जो प्रकाश में आ गयी। सरकार ने मणिपुर का सारा इन्टरनेट बीते ढाई महीने से बंद कर रखा है। अनेकों सूचनाएं बाहर आ नहीं पाती हैं।एक अधिकारिक आकलन के मुताबिक ऐसी सैकड़ों जघन्य घटनाएं हुई होंगी। जिसकी सूचना हम तक नहीं पहुँचने दी जा रही है। वहाँ के सीएम ने खुद ही ऐसी सैकड़ों घटनाओं की रिपोर्ट की बात स्वीकार किया है।हैरानी यह है कि 56 इंच छाती, 14 लाख से अधिक सेना के सक्रिय जवानों के साथ विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना, विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रक्षा बजट, ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट” (BPR&D) की मानें तो देश में कुल 19.26 लाख पुलिसकर्मी,10 लाख अर्ध सैनिक बल, कुल 56 करोड़ छोटे हथियार, लाखों की तादाद में बड़े हथियार… इतनी बड़ी ताकत फिर भी मणिपुर ढाई महीने से हिंसा की आग में जल रहा है।विश्वगुरू होने का दंभ पाले हुए 3 करोड़ साधू चुप हैं और मणिपुर जल रहा है।
नहीं-नहीं, मणिपुर को हिंसा की आग में जलाया जा रहा है मणिपुर को जलाने की पटकथा इस प्रकार है- कूकी व नागा समुदाय को जंगलों, पहाड़ी क्षेत्रों से बेदखल करने के लिए मैतेई समुदाय की तरफ से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाए जा रहे हैं जिससे आदिवासी खफा हैं।इसके अलावा मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग से कूकी और नागा आदिवासी समुदाय काफी तनाव में है।उन्हें आशंका है कि सम्पन्न मैतेयी समुदाय के लोग जनजाति का दर्जा पा जायेंगे तो वे आदिवासियों की जमीन पर धीरे-धीरे कब्जा कर लेंगे और सरकारी नौकरियों की सारी आरक्षित सीटों पर उन्हीं का कब्जा हो जायेगा।भारत की अर्धसामन्ती समाज की दशा देखने से उनकी आशंका जायज दिखती है। इसी लिए जब हाई कोर्ट का आदेश आ गया तो आदिवासी (कूकी व नागा)समुदाय और ज्यादा भड़क गया।अधिकांश जज बड़े सामन्ती घरानों से आते हैं। उन जजों पर शोषकवर्ग का प्रभाव रहता है। संभवतः शोषकवर्गों की मिलीभगत से ही 20 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया होगा, कि “सरकार चार हफ्तों के अंदर मैतेई समुदाय की ओर से एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करे।”हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ कूकी व नागा आदिवासियों ने 3 मई को रैली निकाली। रैली ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (ATSUM) की ओर से निकाली गई थी।

cnindia
Author: cnindia

Leave a Comment

विज्ञापन

जरूर पढ़े

नवीनतम

Content Table