अमेठी। जिले के 300 परिषदीय स्कूलों के परिसर में खाली भूमि पर किचन गार्डेन तैयार किया जाएगा। स्कूलों के खाते में पांच हजार रुपये अंतरित करते हुए गार्डेन स्थापना व रख-रखाव पर खर्च किया जाएगा। क्यारी बनाकर हरी सब्जियां, फल व फूल उगाने के प्रति प्रोत्साहित किया जाएगा। एमडीएम में तैयार होने वाले भोजन में इसी किचन गार्डेन से ताजी व पोषक युक्त सब्जी बनाई जाएगी। जिससे बच्चों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।स्कूल भवनों की मरम्मत कराने के बाद शासन ने मध्यान्ह भोजन योजना के तहत स्कूल में खाली पड़ी भूमि पर किचन गार्डेन तैयार किया जाएगा। इसके लिए 300 प्राथमिक स्कूलों को चिह्नित किया गया है। खाते में भेजी गई पांच हजार की धनराशि से स्कूल परिसर में खाली पड़ी भूमि पर किचन गार्डेन तैयार करते हुए स्थापना व रख-रखाव पर खर्च करना होइस तरह होगा किचन गार्डेन विद्यार्थियों में क्यारी बनाकर हरी सब्जियां फल व फूल बोने/ उगाने के प्रति उत्साह बढ़ेगा तो एमडीएम योजना में तैयार होने वाले भोजन में ताजी व पोषक युक्त सब्जी बनने से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। किचन गार्डेन तैयार होने से बच्चों को मौसमी सब्जियों की उपयोगिता व उसमें पाए जाने वाले पोषण तत्वों की जानकारी भी होगी। जानकारी होने के बाद बच्चे घर में भी क्यारी के माध्यम से हरी सब्जियां, फल व फूल का उत्पादन कर सकेंगे।
किचेन गार्डेन में होंगे यह कार्य
जिला समन्वयक एमडीएम अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि किचेन गार्डेन तैयार करने व सुरक्षित रखने के लिए पौधे गमले में लगाने के साथ खाली पड़ी भूमि पर क्यारी बनाकर लगाए जाएंगे। मां समूह के साथ बच्चों को सुपुर्द करते हुए उनकी देख-रेख की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। जायद सीजन में भिंडी, पालक, लोबिया, लौकी, करेला, खीरा, कददू, तरबूज, खरबूजा, बैंगन, चुकंदर, शलजम, गाजर व मूली तो खरीफ सीजन में चौलाई, भिंडी, बैगन, करेला, लोबिया, तुरई, कददू, लौकी, प्याज व सेम की खेती की जाएगी। इसी तरह रबी सीजन में टमाटर, मटर, मिर्च, फूलगोबी, पत्तागोभी, पालक, सरसो, मेथी, सोया, धनियां, शिमला मिर्च, बैंगन, प्याज, लहसुन, गाजर व मूली का उत्पादन किया जाएगा।
परिसर की बाउंड्रीवॉल व गेट बनेगा
किचन गार्डेन में पौधों की सुरक्षा के लिए विद्यालय परिसर की बाउंड्रीवॉल व गेट का निर्माण कायाकल्प से किया गया है। इसकी नियमित निगरानी नोडल अफसरों से कराई जाएगी। स्कूल में हरी पोषक युक्त सब्जियां का उत्पादन करने के साथ ही परिसर को फूलों के उत्पादन से आकर्षित करने का निर्देश दिया गया है