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16 फीसदी पसमांदा मुसलमानों की बदौलत ही सपा का कायम है वजूद: वसीम राईन

बाराबंकी। पीडीए यानी पसमांदा, दलित और अतिपिछड़ा विरोधी समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से ख़ासकर पसमांदा मुसलमानों को जवाब चाहिये हकीकत में उप्र के जिन 16 फीसदी पसमांदा मुसलमान वोटों से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का वजूद कायम है।सपा की सरकार 2012-17 तक उप्र में  सरकार रही, उस सरकार में बने कुल मंत्रियों में पहले सिर्फ एक मंत्री और आखिर में कुल 2 ही पसमांदा मुसलमान मंत्री यह बात ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने एक बयान में कही हैं। उन्होंने अखिलेश यादव किया हैं। सपा सरकार में 22 सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग में, पूरे 5 साल में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष तो छोड दीजिए आयोग में एक भी सदस्य पसमांदा मुसलमान नहीं बना।
जबकि आपको और तत्कालीन आयोग के चेयरमैन को बखूबी पता था कि उप्र के कुल पिछड़ों में लगभग एक तिहाई पिछड़े- पसमांदा मुसलमान है। ऐसे ही उस सरकार में बने 75 जिला पंचायत अध्यक्षों में एक भी अध्यक्ष पसमांदा मुसलमान नहीं बना। ऐसे ही सपा सरकार में बने 851 ब्लॉक प्रमुखों में सिर्फ 5 ही ब्लॉक प्रमुख पसमांदा मुसलमान बने।उनमे भी ज्यादातर अपने दम पर ऐसे ही सपा सरकार में बने  आयोगों, निगमों आदि में 200 से भी ज्यादा राज्यमंत्री वा अध्यक्षों में पसमांदा मुसलमान सिर्फ 7 ही बनाए गए। वोट पसमांदा मुसलमानो का यादव बिरादी से दो गुना मिलता रहा और हिस्सेदारी सिर्फ अपनी 8फीसदी आबादी वाले यादवो को दिया।पार्टी के संगठनों में भी कोई पद नहीं दिया सिर्फ वोट बैंक तरह इस्तेमाल किया और नारे लगवाये दरी बिछवाई कुर्सी लगवाई अब पसमांदा मुसलमान जागरूक हो गया हैं जो दल या सरकार हिस्सेदारी देगा पसमांदा मुसलमान उसी को वोट करेगा । हिस्सेदारी नही तो वोट नहीं है। वोट हमारा राज तुम्हारा अब नहीं चलेगा।समाजवादी पार्टी ने आज तक कभी पसमांदा मुसलमानो की बात नहीं की न ही कभी लोकसभा , राज्यसभा में कोई आवाज उठाई सिर्फ बीजेपी को हराने में लगा रखा और अपनी यादव बिरादरी को नौकरी से लेकर पार्टी के टिकट संगठनों में जगह मंत्रीमण्डल में राज्यसभा में पसमांदा मुस्लिम को सिर्फ पार्टी की तरफ से रोजा इफ्तार में दावत और ख़ुद टोपी लगाकर पहुँच गए। अपने को तथाकथित मुस्लिम हमदर्द बनने लगे।

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Author: cnindia

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