बाराबंकी। पत्रकारों से लर्निंग लाइसेंस में घूस लेने के मामले के बाद सम्मानित हिन्दी दैनिक अखबार लगातार संभागीय परिवहन विभाग की पोल खोलता यहां के भ्रष्टाचार को उजागर करने में लगा। तो पहले तो पूरा प्रशासन मामले को अनदेखा कर टालने के मूड में दिखा। लेकिन लगातार पांच बार यहां के भ्रष्टाचार को लेकर जारी मुहिम मे अपनी साख बचाने व खबर पर किसान नेताओं के आंदोलित होने पर प्रशासन बैकफुट पर आया। तो बजाए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उसकी तरफ से छापामार कार्रवाई कर वहां काम से आए या दूसरे का काम कराने आए व अंदर भ्रष्टाचार बाबूओं की चाकरी कर काम कर रहे कुल 13 लोगों को पुलिस प्रशासन ने हिरासत में ले लिया और कोतवाली ले गई। यहां की एआरटीओ से बातचीत करने का प्रयास किया तो उन्होंने छापे के समय तो कुछ मीडिया कर्मियों को बाईट दी लेकिन मुहिम चलाने वाले मीडियाकर्मियों के सवालों से बचने के प्रयास में उन्होंने कागजी जांच का बहाना बनाकर सवालों से किनारा कर लिया।बताते चलें कि शनिवार को अपराहन करीब 02 बजे एसडीएम सदर, सीओ सिटी, कोतवाली नगर प्रभारी, आवास विकास चैकी प्रभारी सहित दो तीन गाड़ियों से अधिकारी व पुलिस कर्मी अचानक एआरटीओ कार्यालय पहुंचे और कार्यालय के दोनों गेट बंद करा दिए। अचानक इतनी पुलिस देख कार्यालय के आसपास के क्षेत्र में हड़कम्प मच गया जिसमें तामाशा देखने गए लोग भी पुलिस व अधिकारियों की लपेट मे आ गए। वहीं तैनात सरकारी कर्मचारियों के अलावा जब अधिकारियों ने वहां कार्य कर रहे लोगों को डिटेल खंगाला तो चार लोग बिना किसी बाजिब तैनाती के वहां कार्य करते मिले जिन्हें भी पुलिस ने हिरासत मे ले लिया। वहीं तीन लोगों के पास वेण्डर के द्वारा तैनाती के कागजात देखकर सीओ व एसडीएम ने उन्हें छोड़ दिया। लेकिन लोग यह देखकर दंग रहे गए कि आखिर इन बाहर के लोगों को रखकर कार्य करवाने वाले को लेकर कोई जांच पूछताछ नहीं की गई। जब इस बात को लेकर देर शाम एसडीएम सदर को फोन किया गया तो पहले तो उन्होंने बताया कि कोतवाली से प्रेस रिलीज दी जाएगी वहीं पर किसी को भेज दीजिए और फोन काट दिया जब दोबारा उन्हें पूछताछ व जांच के टार्गेट को लेकर जानकारी करनी चाही गई तो सवालों ने बचने के लिए महोदय बार-बार फोन काटते रहे। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कोतवाली से छः लोगों को पुलिस द्वारा छोड़ दिया गया है। जिसपर जवाबदेही से बचने के लिए न एसडीएम जवाब दे रहे हैं और न डीएम फोन उठा रहे और तो और एआरटीओ प्रशासन का फोन भी स्वीच आॅफ हो गया। ऐसा है भ्रष्टाचार का तंत्र कि योगी-मोदी राज्य में भी जीरोटाॅलरेन्स इनका कुछ नही ंउखाड़ सकता। हां गेंहूं में घुन जरूर पिस गए बेचारे हुई छापामार कार्रवाई में।
पाॅकेट मीडिया को छोड़ सवाल करने वालों से दूरी बनाते नजर आए अधिकारी
बाराबंकी। बताते चलें कि छापे की जानकारी जहां कुछ मीडिया वालों जिन्हे पाॅकेट मीडिया कहा जा सकता है, को प्रशासन द्वारा ही शायद जानकारी दे दी गई हो वो तो मौके पर तुरंत पहुंच भी गए और यहां की अध्किारी अंकिता शुक्ला ने उन्हें अपने विभाग को सुरक्षित रखते हुए भ्रष्टाचार की आंच से बचाने वाली बाईट दे भी दी। लेकिन जब विभाग के खिलाफ लगातार मुहिम चला रही मीडिया पहुंची तो एआटीओ अधिकारी ने मिलने तक से इंकार कर दिया। जिसके बाद एसडीएम को फोन करने पर उनके द्वारा जब बारबार जानबूझकर फोन काटा गया। तो इसके बाद जिले के आला हाकिम डीएम अविनाश कुमार के सीयूजी नंबर 9454417540 पर कई बार काॅल किया गया तो पूरी घण्टी जाने के बावजूद उनका फोन नहीं उठा। वैसे भी मीडिया के लिए खास बना सूचना विभाग का ग्रुप भी इन्हंी स्वयं भू अधिकारियों ने मीडिया के सवालो से बचने के लिए वन वे कर रखा है यानी केवल एडमिन मैसेज डाल सकता है मीडिया कुछ पूछ नहीं सकती। भले ही इसके पीछे इनके पास बहाने कई हों लेकिन अगर कानून जनता के लिए हैं और उनके कथित प्रतिनिधि सरकार हैं तो चतुर्थ स्तंभ में केवल पाॅकेट मीडिया तक संवाद संदेहास्पद तो कहा ही जाएगा। अब सवाल है तो चाहे कितना भी जीरो टालरेन्स का ढ़िढोरा पीटा जाए व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल तो किए ही जाएंगे और अगर जवाब नहीं देंगे तो बिना प्रशासन के पक्ष के लिखना मीडिया की मजबूरी तो होगा ही। फिर अगर सरकार यह समझे कि आवाम की आवाज को दबा लेंगे तो फिर मीडिया ने अंग्रेजों को भगा दिया देश को आजाद कराने में योगदान दिया तो इन भ्रष्टाचारियो के खिलाफ भी कोई न कोई तो खड़ा होगा ही। तो व्यवसाईक पाॅकेट मीडिया तो नहीं ही होगा।