हनुमना- मामला नवनिर्मित मऊगंज जिले अंतर्गत हनुमना तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत बावनगढ़ का है जहां विगत कुछ महीनों से भ्रष्टाचार में लिप्त सरपंच राकेश साकेत द्वारा गौशाला ब्रम्हागढ का मद का आहरण गौशाला के संचालन न होने पर भी हो रहा है सरपंच राकेश साकेत पिता रामसजीवन साकेत द्वारा फर्जी तरीके से चारा भूसा का भुगतान कराया गया है वही अब सरपंच अपने भाई मुकेश साकेत के खाते में राशि 54000 रुपए गौशाला संचालन में मजदूरी भुगतान और राजेंद्र साकेत पिता रामसजीवन साकेत के खाते में राशि 54000 रुपए वेंडर बनवाकर वहीं राकेश कुमार साकेत के पुत्र अजय कुमार साकेत के खाते में राशि 33000 रुपए राशि का भुगतान विकाश यात्रा में टेंट व्यवस्था के नाम पर फर्जी वेंडर बनवाकर उनके खाते में गौशाला एवम अन्य राशि का भुगतान कराया गया है जबकि राज्य शासन के नए प्रावधान के तहत सरपंच-सचिव अपनी पत्नी/पति , पुत्र व रिश्तेदारों की सप्लायर फर्मों के नाम भुगतान नहीं कर सकते।
सरपंच ने संबंधियों के नाम रजिस्टर कराई फर्म
सरपंच-सचिव व रोजगार सहायक रिश्तेदारों व संबंधियों के नाम फर्में बनाकर मनरेगा व पंच परमेश्वर योजना का जबकि राज्य शासन के नए प्रावधान के तहत सरपंच-सचिव अपनी पत्नी, पुत्र व रिश्तेदारों की सप्लायर फर्मों के नाम भुगतान नहीं कर सकता ।
मालूम हो कि नवंबर 2015 से पहले पंच-परमेश्वर एवं मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्र में किए जाने वाले निर्माण कार्य का भुगतान सरपंच-सचिव चैक के माध्यम से सप्लायर फर्म को किया करते थे। सरपंच-सचिव ने इस प्रावधान का लाभ उठाते हुए अपने पुत्र, पत्नी व अन्य संबंधियों के नाम फर्में बनाकर सरकारी भुगतान हड़पना शुरू कर दिया। लेकिन यह मामला संज्ञान में आते ही राज्य शासन ने प्रावधान में बदलाव कर दिया। जिसके तहत सरपंच-सचिव एवं रोजगार सहायक के रिश्तेदार व पुत्र, के नाम की सप्लायर फर्म को मनरेगा व पंचपरमेश्वर योजना के तहत भुगतान नहीं हो सकता है। इस पर लगाम करने के लिए लिए राज्य शासन ने प्रदेश के प्रत्येक जनपद सीईओ को निर्देश भी जारी किए, लेकिन हनुमना जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत बावनगढ़ में शासन के नियमों को ताक पर रखकर सरपंच के परिजन के नाम सप्लायर फर्म को शासन की योजनाओं का भुगतान किया जा रहा है। वही 0.175 हेक्टेयर के कृषक रामप्रसाद यादव के खाते में भूसा की राशि 50000 रुपए का भुगतान हो गया है जहां ग्रामीणों द्वारा बातचीत करने पर पता चला की गौशाला का संचालन माह अप्रैल से हुआ ही नही केवल 5 दिन के लिए गौशाला का संचालन हुआ था गौशाला संचालन न होने पर भी गौशाला मे चारा भूसा की राशि की निकासी एवम गौशाला संचालन में मजदूरी की राशि की निकासी सरपंच द्वारा फर्जी तरीके से कराया गया है वही आवारा मवेशी खुले में घूम रहे हैं फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं कृषक परेशान हैं यहां तक कि बावनगढ गौशाला बंद होने की खबर कई बार अखबार में प्रकाशित हो चुकी है अभी भी जांच करने पर गौशाला में मवेशियों एवम भूसा चारा का नामोनिशान नही है अब देखा जाता है की मऊगंज जिले के कलेक्टर एवम जिला पंचायत सीईओ गोशाला घोटाले को संज्ञान में लेते हैं कि ऐसे ही घोटाले प्रशासनिक संरक्षण मिलते रहेंगे !