अमेठी। जनपद के अमेठी जिले की उप जिलाधिकारी प्रीति तिवारी द्वारा सीआरपीसी के धारा 151 में लाए गए लोगों को तालिबानी सजा देने का वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ।
दरअसल, एसडीएम ने धारा 151 में पाबंद किए लगभग आधा दर्जन लोगों को कान पकड़कर उठक बैठक करवाया। जिसका वीडियो किसी ने बना लिया और वायरल कर दिया। लेकिन इस वायरल वीडियो ने एसडीएम की कार्यशैली पर कुछ बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। जैसे कानूनन सीआरपीसी के धारा 151 में लाए गए आरोपियों को या तो जमानत दी जाए या जमानत निरस्त किया जाए यही विधिक प्राविधान है। किन्तु सवाल यह उठता है कि आरोपियों को कान पकड़वाकर उठक-बैठक करवाना सीआरपीसी और आईपीसी की किस धारा में लिखा हुआ है? बिना वाद के गुण-दोष पर विचार किए क्या मजिस्ट्रेट द्वारा सजा दी जा सकती है? क्या कोई मजिस्ट्रेट विधि द्वारा प्रदत्त न्याययिक शक्तियों से आगे बढ़कर स्वयं के इच्छा के अनुसार सजा दे सकता है? यह कुछ बड़े सवाल हैं जिनको अमेठी की जनता जानना चाहती है।
एसडीएम अमेठी प्रीति तिवारी को मामले में उनका वर्जन लेने के लिए कई बार फोन किया गया लेकिन उनका सीयूजी नम्बर नही लगा। एडीएम अमेठी को फोन किया गया तो उनका मोबाइल फोन नही उठा। मामले में वर्जन के लिए डीएम अमेठी को उनके सीयूजी नम्बर पर संपर्क किया गया तो किसी और ने फोन उठाया और बताया कि साहब मीटिंग में हैं।
सुल्तानपुर सत्र न्यायालय के फौजदारी के वरिष्ठ अधिवक्ता रवि शुक्ला ने सीआरपीसी 151 पर प्रकाश डालते हुए जानकारी दिया कि दंड देने का अधिकारी केवल न्यायाधीश को है। वह भी साक्ष्य परीक्षण के उपरांत। किसी कार्यकारी मजिस्ट्रेट को किसी 151 में पाबन्द किए व्यक्ति को किसी प्रकार से शारीरिक दंड देने का अधिकार न्याय विधान नहीं प्रदान करता है।