इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत के पुरानपुर थाने के निवासी इब्रान उर्फ शेरू की जमानत अर्जी को स्वीकार करते हुए कहा कि मांस रखने या ले जाने से गोमांस या गोमांस उत्पादों की बिक्री या परिवहन को गो वध अधिनियम के तहत दंडनीय नहीं माना जा सकता है। जब तक कि यह पुख्ता या पर्याप्त सबूत द्वारा न दिखाया जा सके कि बरामद पदार्थ गोमांस ही है। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने इब्रान उर्फ शेरू की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि याची को निजी प्रतिभूति और दो मुचलके के साथ रिहा किया जाए। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल नहीं हुआ कि बरामद पदार्थ गोमांस ही है,याची की ओर से कहा गया कि वह पेंटर है और जब छापा मारा गया था तो वह घर में पेंटिंग का काम कर रहा था। आरोप जोड़ने के लिए कोई अन्य सबूत नहीं है। उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उसका गोमांस या उसके उसके उत्पादों या उसके परिवहन से कोई लेना देना नहीं है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध किया। तर्क दिया कि बरामद मांस गोवंश से जुड़ा हुआ है और वह याची के घर से बरामद हुआ है।लिहाजा वह जमानत पाने का अधिकारी नहीं है। कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितयों को देखते हुए याची को शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। याची के खिलाफ पीलीभीत के पुरानपुर थाने में इसी साल प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। निचली अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद याची ने हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए गुहार लगाई थी