अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए प्रत्येक हिंदू घर से जो ईंट मंगवाई गई थीं, वे कहां गईं? इसका उत्तर देने को उस अभियान से जुड़ा कोई भी व्यक्ति या तथाकथित साधू-संत देने को तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिस तरह राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में जमीन खरीदी में करोड़ों रुपए की घपलेबाजी की गई, वह सर्वविदित है। मध्यप्रदेश में उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर परिसर में सप्त-ऋषियों की मूर्तियां बनाने और उन्हें स्थापित करने में जैसा अनाचार किया गया है, उसकी पोल पट्टी हवा के एक मामूली झौंके ने खोल दी है। उसके बाद से तो इसमें हुई घपलेबाजी के अनेक रूप प्रकट होते जा रहे हैं।मूर्तिपूजा के कुछ नियम निश्चित किये गये हैं जिनका पालन करना ये धर्म के धंधेबाज आवश्यक नहीं समझते क्योंकि इनका धार्मिक आस्था और आचरण से दूर-दूर तक कोई सम्बंध नहीं होता। सत्ता की हवस में अंधे हो गए लोगों को श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा से कोई लेना-देना नहीं होता; यह सच देखते हुए भी अंधभक्त कदापि स्वीकार नहीं करते कि उन्हें धर्म के नाम पर छला जा रहा है। ऐसे विवेकहीन लोगों के बल पर ही सत्ता-प्रतिष्ठान पर काबिज हो गए लोग और भी अधिक भ्रष्टाचार-अनाचार करते जा रहे हैं।