4 जून को जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में राजस्थान भर के माली समाज का सम्मेलन हुआ। यह सम्मेलन आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किया गया। सम्मेलन में हुई गतिविधियों से साफ जाहिर है कि सम्मेलन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दम पर हुआ है। सम्मेलन में जब यूपी की भाजपा सरकार के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोलने लगे तब गहलोत जिंदाबाद के नारे लगना शुरू हो गए। नारेबाजी के कारण मौर्य को अपना भाषण अधूरा ही छोड़ना पड़ा। मौर्य की स्थिति को देखते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तो संबोधन से ही इनकार कर दिया। इसके विपरीत जब सीएम अशोक गहलोत के पुत्र और आरसीए के अध्यक्ष वैभव गहलोत का संबोधन हुआ तो लोगों ने शांति से सुना। वैभव ने अपने पिता की सरकार की उपलब्धियां गिनाई और उम्मीद जताई कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी। सम्मेलन में भाजपा से निष्कासित और गहलोत सरकार को खुला समर्थन देने वाली विधायक शोभारानी भी कुशवाहा समाज की प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित थीं। चुनाव को देखते हुए राजस्थान में हर समाज शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। राजपूत समाज ब्राह्मण समाज पहले ही अपनी ताकत दिखा चुके हैं और अब माली सैनी कुशवाहा मौर्य आदि जातियों के लोग भी शक्ति प्रदर्शन कर विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस से 20-20 टिकट की मांग की है तथा एक लोकसभा क्षेत्र भी माली समाज के लिए मांगा है। समाज सुधारक और माली समाज से जुड़े महात्मा ज्योतिबा फूले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फूले को भारत रत्न देने की मांग की है। माली समाज ने राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन तब किया, जब अशोक गहलोत कहते हैं कि प्रदेश में मैं अपनी माली जाति का अकेला विधायक हूं और तीसरी बार मुख्यमंत्री बना। गहलोत के कथन के पीछे यही वजह है कि वह जाति की राजनीति नहीं करते हैं। गहलोत स्वयं को सभी जातियों का प्रतिनिधि मानते हैं। गहलोत का कहना है कि प्रदेश भर के लोगों के समर्थन से ही वह बर-बार मुख्यमंत्री बनते हैं। शायद इसे भी गहलोत की लोकप्रियता ही कहा जाएगा कि 4 जून के सम्मेलन में सिर्फ गहलोत जिंदाबाद के नारे ही लगे।