कहते हैं कि जब दास प्रथा के खात्मे के लिए अमेरिका में अब्राहम लिंकन ने अश्वेतों (नीग्रो) लोगों के हाथों, पैरों की बेडियां कटवायी तो उनके हाथ पैर सुन्न होने के कारण उन नीग्रो जाति के लोगों को महीनों तक नींद नहीं आई और वे दहाड़े मारकर लिंकन को कोसते रहे, गालियां देते रहे कि हमारे जन्म जन्म के गहने हमसे छीन लिए गए, क्योंकि वे जन्म जन्मान्तर से उसी के आदी हो चुके थे।
लगभग यही आलम आज हमारे समाज का है। जब भी कोई व्यक्ति हमारे इस समाज को अन्धविवास, पाखण्ड, कुरीति, षड्यंत्र आदि के प्रपन्च से मुक्त होकर अपने महापुरुषों आदि को जानने और उनके द्वारा कही गयी बातों को मानने की बात करता है तो वे पलटकर उसे ही बुरा भला कहते हैं क्योंकि हमारा समाज … Read more